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नवजोत सिंह सिद्धू को SC ने सुनाई 1 साल की सजा, 34 साल पुराने मामले में बढ़ी मुश्किले

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पंजाब के नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को 34 साल पुराने मामले में सुनाई गई 1 साल की सजा। 1988 में एक बुजुर्ग की मौत में सिद्धू को दोषी पाया गया था. जिसे लेकर 2018 में उन पर 1000 का जुर्माना भी लगा था.अब 34 साल पुरने रोडवेज मामले में सिद्धू को 1 साल की जेल हुई है. जल्द ही सिद्धू को पंजाब पुलिस गिरफ्तार कर सकती है.सिद्धू को सजा काटने पटियाला जेल भेजा जा सकता है। 

क्या है मामला? 

27 दिसंबर 1988 के लिए सिद्धू और कुछ लोगों के बीच पार्किंग को लेकर हाथापाई हुई थी.उस दौरान गुरनाम सिंह नामक एक 65 वर्षीय वृद्ध को गंभीर चोटें आईं थी. आरोप में कहा गया है, पटियाला में पार्किंग को लेकर हुए इस विवाद में सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्के से मारा था.घायल अवस्था में गुरनाम को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी मौत हो गयी थी.इस हादसे के बाद नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था। 

पहले लग चुका है 1000 जुर्माना

1988 में हुए इस हादसे के बाद पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता सिद्धू को 1999 में सेशन अदालत द्वारा सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.जिसके बाद यह मामला हाई कोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को बरी कर दिया। गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304 IPC से उन्हें मुक्त कर दिया गया। हालांकि, उनपर IPC की धारा 323 को बरकार रखा गया था। इसी धारा को आधार बनाकर उन्हें जेल भी हुई थी, लेकिन बाद में 1000 जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया था।  

दुबारा दायर की गई याचिका

सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ मृतक के परिवार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की। परिवार की मांग थी, सिद्धू को IPC की धारा 304 के तहत कैद की सजा मिले। आज सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका को स्वीकार कर लिया गया। जिस पर आज फैसला सुनाते हुए सिद्धू को 1 साल की सजा सुनाई गई।

सिद्धू क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद राजनीति में हुए थे सक्रिय

गौरतलब हो कि नवजोत सिंह सिद्धू क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद राजनीति में सक्रिय हो गए। वह कॉमेडी विथ कपिल शर्मा में जज की भूमिका में भी नज़र आ चुकें है। उन्हें राजनीति में पहली सफलता 2004 में मिली थी, भाजपा के टिकट से वह 2004 में लोकसभा चुनाव जीते थे। उन्हें 2009 में भी जीत मिली थी। सिद्धू भाजपा का दामन छोड़ जनवरी 2017 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे।


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