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श्री बंशीधर नगर: लोकतंत्र के महापर्व पर पेट की आग पड़ा भारी, मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी, बोले मजदूर – वोट देवे से पेट नहीं चलतई, जितना कमबई उतना ही खबई, वोट देवे समय हमन के याद करल जाला बाकी समय सब भूल जा लथीन।

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उज्ज्वल विश्वकर्मा 

श्री बंशीधर नगर : लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने को लेकर जिला प्रशासन की ओर से चलाये जा रहे जागरूकता अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में बेअसर साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग लोकतंत्र के महापर्व में अपनी आहुति देने के बजाय अपनी पेट की आग को बुझाने के लिये लगातार अन्य प्रदेशों में पलायन करने को मजबूर हैं। श्री बंशीधर नगर अनुमंडल में पिछले 15 दिनों से मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी है। नगर ऊंटारी रेलवे स्टेशन पर इनदिनों रात्रि में मजदूरों का हुजूम उमड़ रहा है। शनिवार की रात श्री बंशीधर नगर अनुमंडल के विभिन्न प्रखंडों से हजारों की संख्या में मजदूर विभिन्न ट्रेनों के माध्यम से पलायन कर गये हैं। जबकि पलामू में मतदान होने में मात्र एक सप्ताह शेष बचे हुये हैं। 

 

प्रशासन का मतदाता जागरुकता अभियान बेअसर

उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग के निर्देश पर मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिये जिला प्रशासन की ओर से लगातार सभी प्रखंडों में एवं पंचायत में विभिन्न माध्यमों से मतदाता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान मतदाताओं को उनके सबसे बड़े अधिकार मतदान को लेकर उन्हें जागरूक किया जा रहा है। किंतु पेट की आग के आगे जिला प्रशासन के द्वारा किये जा रहे प्रयास का उनपर कोई असर नहीं पड़ रहा है। वैसे लोग अपना एवं अपने परिवार का भरण पोषण करने को लेकर दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा समेत विभिन्न प्रदेशों में जाने को विवश हैं। 

पलायन रोकने में मनरेगा फेल

प्रखंडों में लोगों को रोजगार से जोड़ने एवं मजदूरों के पलायन को रोकने के लिये मनरेगा योजना चलाई जा रही है। इसके तहत कई स्कीम चलाये जा रहे हैं। किन्तु मनरेगा में मजदूरों का महीनों से मजदूरी बकाया भुगतान नहीं होने एवं काम नहीं मिलने के कारण मनरेगा भी पलायन रोकने में फेल है। 

मजदूरों का दर्द

अन्य प्रदेशों में रोजगार के लिये जा रहे मजदूर अविनाश पासवान कहते हैं कि अपने परिवार के लिये कमाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जितना वोट देना जरूरी है उतना ही पेट पालना भी है, सिर्फ वोट देकर जी नहीं सकते। विशुनपुरा निवासी कृष्णा कुमार कहते हैं कि हम आज कमाएंगे तब ही घर के लोगों को भोजन और बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकते हैं। हमलोगों के वोट से सरकार एवं नेतवन की किस्मत बदल जा रही है। परन्तु हमलोगों की किस्मत नहीं बदल रही है। आज भी हमलोग काम की तलाश में बाहर जा रहे हैं। धुरकी के दिनेश कुमार कहते हैं कि ठीकेदार से पैसा ले चुके हैं अब किसी भी हाल में घर नहीं रुक सकते। धुरकी के मिरचैया गांव निवासी रामचंद्र और अरविंद ने बोला कि वोट देवे से पेट नहीं चलतई, जितना कमबई उतना ही खबई, वोट देवे समय हमन के याद करल जाला बाकी समय सब भूल जा लथीन। अरुण एवं दीनानाथ ने कहा कि नेतवन के खाली वोट चाहत बा, हमन के कमायेला कइगो फैक्टरी खोलले हथीन….जब हमनी के बहरे कमाये जाय के बा त वोट देवे ला काहे रूकूं, वोट देवे से पेट थोड़ो भर जतई।

क्या कहते हैं डीसी

जिले के डीसी शेखर जमुआर ने जिले से मजदूरों के हो रहे पलायन के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, अगर ऐसा हो रहा है तो वे इसकी जांच कराकर मजदूरों को रोकने का प्रयास करेंगे। उन्होंने बाहर जा रहे मजदूरों से भी वापस लौट कर मतदान करने की अपील की है।


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