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गढ़वा: जिला प्रशासन के सहयोग से बालू माफिया बेखौफ होकर रातभर बालू का कर रहे अवैध उठाव।

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अतुलधर दुबे



गढ़वा। जिले में बालू के अवैध खनन का खेल नहीं थम रहा है। पुलिस की नाक के नीचे यह कारोबार लंबे समय से फलफूल रहा है। फिर भी खनन विभाग के अधिकारी व पुलिस पदाधिकारी अनजान बने रहते हैं। बालू माफिया चतुराई के साथ रात के अंधेरे में बालू का अवैध खनन करते हैं। सुबह पांच बजे तक काम को अंजाम दिया जाता है, ताकि दिन के उजाले में उनकी करतूत लोगों की नजर से बची रहे। ग्रामीणों की मानें तो बालू का अवैध कारोबार पुलिस की शह से ही हो रहा है। प्रतिदिन अवैध बालू लोड दर्जनों ट्रैक्टर व ट्रॉलियां एक साथ निकलती हैं। रात भर खाली ट्रॉलियां बार-बार बालू घाटों की ओर जाती हैं। फिर प्रतिबंधित घाटों से बालू भरकर वापस लौटती हैं। अवैध खनन कर बालू ले जाने वाले ट्रैक्टर व ट्रॉलियों की तस्वीरें व वीडियो भी लगातार सामने आते रहे हैं। परंतु खनन विभाग के अधिकारी व पुलिस कार्रवाई करने से कतराते हैं। एनजीटी के निर्देश का हो रहा उल्लंघन
मानसून अवधि में नदियों से बालू उठाव पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) की रोक के बाद भी जिला मुख्यालय व जिले की नदियों से बालू का अवैध उठाव जारी है। बालू माफिया पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर मालामाल हो रहे हैं। बालू के अवैध उठाव व ढुलाई पर प्रशासन अंकुश लगाने में नाकाम है। एनजीटी की रोक को देखते हुए जिला प्रशासन ने टास्क फोर्स को निर्देश दिया था कि मानसून अवधि में किसी भी सूरत में नदियों से बालू का अवैध उठाव न हो। बीच बीच में प्रशासनिक अधिकारियों ने कार्रवाई भी की, लेकिन नदियों से अवैध बालू के पर रोक नहीं लगी। प्रतिदिन दो सौ से तीन सौ ट्रैक्टर बालू का हो रहा उठाव जानकारी के अनुसार प्रतिदिन 200 से 300 ट्रैक्टर बालू का उठाव कर मनमानी कीमत पर बेचा जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार बालू खनन व लोडिग के दौरान बालू माफिया के हथियारबंद गुर्गे भी बालू घाटों के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं। एक ट्रैक्टर बालू लोड करने पर दो हजार रुपये व प्रति ट्रिप तीन से पांच सौ रुपये की वसूली गुर्गे करते हैं।


रात के अंधेरे में सड़कों पर दौड़ते हैं अवैध बालू से लदे ट्रैक्टर

जिला मुख्यालय में शाम ढलते ही बालू घाटों से बालू निकालने का काम शुरू हो जाता है। फिर देर रात तक सड़कों पर अवैध बालू के ट्रैक्टर दौड़ते रहते हैं। परंतु इन्हें देखने व रोकने के लिए कोई नहीं है। पुलिस व खनन विभाग के अधिकारी आपसी मिलीभगत के कारण मौन हैं। सूर्यास्त के बाद खनन की पाबंदी के बावजूद बालू कारोबारी रातभर बड़ी-बड़ी मशीनों से अवैध बालू का खनन कराते हैं। सबकुछ जानने के बावजूद खनन विभाग के अधिकारी बेखबर बने हुए हैं। जानकारों का कहना हैकि बालू माफियाओं से पुलिस का लेन-देन का खेल चल रहा है रात के अंधेरे में वैसे ही ट्रैक्टर और हाईवा चलते हैं जिसे थाने से परमिशन मिलता है बालू का अवैध कारोबार पुलिस की कमाई का जरिया बताया जा रहा है कि नदियों से बालू का अवैध कारोबार पुलिस की कमाई का जरिया बन चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस प्रति ट्रैक्टर प्रति माह 30 हजार रुपये की वसूली करती है। क्षेत्र के 12 ट्रैक्टर से पुलिस वसूली कर सेटिग कर चुकी है। इन 12 ट्रैक्टरो को बालू उठाव करने की खुली छूट है। वही 16 हाईवा भी शमिल है जो रात भर बालू का उठाव कर शहर में मांगे दर पर देते हैं रात के अंधेरे में वाहनों को किसी से रोका दिक्कत ना हो उसके लिए दलाल जगह-जगह अपने वाहन पर बैठे रहते हैं और वही से हुए निगरानी करते रहते हैं जैसे ही बड़े अधिकारी जांच के लिए निकलते हैं तुरंत वहां चालकों को यह संदेश दे दिया जाता है कि अभिलंब गाड़ी नदी से निकाल ले।


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