इन दो बहनों को है सरकारी मदद की दरकार, दिहाड़ी मजदूरी कर चल रहा है पठन-पाठन
इन दो बहनों को है सरकारी मदद की दरकार, दिहाड़ी मजदूरी कर चल रहा है पठन-पाठन
जब सारी दुनिया मदर्स डे में अपनी मां के साथ कि फोटो सोशल मीडिया में पोस्ट कर बधाई देकर खुशियां मना रही थी.उसी दिन “द वॉइसवर” की टीम ने एक ऐसे परिवार से बात की जिसने बचपन में ही मां और पिता दोनो का ही साया खो दिया है. परिवार में जमा 3 लोग है, शोभा, उसकी बहन और एक बूढ़ी दादी। धन्य मानिए , पीएम वृद्धा पेंशन योजना का जिसके 1000 रुपए के सहयोग से बच्चियों को थोड़ी बहुत पढ़ाई में मदद हो जा रही है।
घर मे जरूरी चीजें खत्म होने पर करनी पड़ती है मजदूरी, किसी से मदद की कोई उम्मीद नही
मामला उस झारखंड राज्य का है जहां एक IAS अधिकारी के सीएस के पास से करोड़ों रुपय ईडी ने जप्त किया है.अधिकारी को जेल तक जाने की नौबत आ गयी।लेकिन उसी झारखंड राज्य अंतर्गत लातेहार ज़िले के गारू प्रखंड मुख्यालय के हेसाग गांव में एक परिवार को मामूली मदद की जरूरत है.शोभा का परिवार एक झोपड़ीनुमा घर में रहता है.शोभा की उम्र उतनी नही है कि वह मजदूरी करें, लेकिन हालात ने उसे मजदूरी करने के लिए मजबूर कर दिया है।
दिनभर मजदूरी के बाद मिलते है चंद रुपय,तब मिटती है पेट की भूख
शोभा की एक और छोटी बहन है.माता पिता को गुजरे लगभग 15 साल हो गए।शोभा को पिता का चेहरा भी याद नहीं है.बूढ़ी दादी को सरकार हर महीने हज़ार रुपए पेंशन देती है.जिससे घर खर्च में मदद हो जाती है.बाकी कभी तेल,मसाला नही है तो न चाहते हुए भी मजदूरी करने जाना ही पड़ता है.शोभा की छोटी बहन को भी मजदूरी करना पड़ता है.छोटी बहन ने कहा जिंदगी जिना बहुत मुश्किल है.जानवरों की तरह माथे पर बोझ लेकर ढलाई का काम करते है.तब जाकर कही 200-250रु मिलता है और उसी से घर खर्च चलता है।
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इतनी मुश्किलों फिर भी दोनो बहनों का पढ़ाई के प्रति हौसला कभी नही टूटा
तमाम मुश्किलों के बावजूद शोभा ने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली है। दोनो बहनो की आगे पढ़ने की लालसा है, लेकिन शायद आर्थिक तंगी उनके पढ़ाई में रोड़ा बनता दिख रहा है.पढ़ाई के साथ साथ घर के खर्चे चलाने के लिए मजदूरी करना इनकी मजबूरी बन गई है। शोभा बाट जोह रही सरकार कि उन योजनाओं का जिससे उसके परिवार का उत्थान हो सके। अगर समाज और सरकार ने मदद का हाथ बढ़ाया तो बच्चियों का भविष्य उज्जवल हो सकता है।