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मुंगेर: मुख्यमंत्री ने डकरा नाला गंगा पंप नहर परियोजना का किया निरीक्षण

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परियोजना को धरातल पर उतारने का अधिकारियों को दिया निर्देश


मुख्यमंत्री के निरीक्षण से किसानों में हर्ष व्याप्त


करोड़ो रूपये व्यय के बाद भी अधूरा रह गया था परियोजना


पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था उदघाटन


1200 एकड़ से अधिक खेतों में सिंचाई का था लक्ष्य

डॉ शशि कांत सुमन
मुंगेर। रविवार को अचानक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुंगेर जिले के अतिमहत्वाकांक्षी डकरा नाला गंगा नहर पंप परियोजना का औचक निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के डकरा नाला सिंचाई परियोजना के निरीक्षण से जिले के किसानों में हर्ष व्याप्त है। वहीं इस मृतप्रायः योजना के एक बार फिर से धरातल उतरने का आशा मुंगेर, जमालपुर, धरहरा के किसानों में जगी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डकरा नाला पंप के साथ ही उसके गेटो का बारीकी से निरीक्षण किया। निरीक्षण में मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से योजना के बारे में विस्तृत जानकारी ली। निरीक्षण के क्रम में इस परियोजना को धरातल पर उतारने का निर्देश अधिकारियों को दिया। बता दें कि सत्ता परिवर्तन के दो माह पूर्व जल संसाधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने मुंगेर के डकरा नाला गंगा नहर पम्प योजना का निरीक्षण किया। निरीक्षण के क्रम में सचिव ने डकरानाला पंप नहर योजना के साथ ही सतघरवा जलाशय योजना को धरातल पर उतारने के लिए विभागीय अधिकारी से विस्तृत जानकारी ली थी। इस परियोजना में करोड़ों रुपए व्यय होने के बावजूद भी किसानों के खेतों में एक बूंद पानी भी सिंचाई के लिए उपलब्ध नहीं हो सका। इस सिंचाई परियोजना सफल क्रियान्वयन हो जाता तो किसानों को भगवान भरोसे खेती से निजात मिल जाती। लेकिन योजना में लूट-खसोट व अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह दोनों योजना फेल्योर हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसानों के हर खेत में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की वादा किए जाने के बाद जल संसाधन विभाग इस परियोजना को धरातल उतारने का मन बना ली है। निरीक्षण में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, पूर्व ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, तारापुर विधायक राजीव कुमार सिंह, जल संसाधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल, जिला पदाधिकारी नवीन कुमार सहित अन्य शामिल थे।

क्या थी डकरा नाला पंप नहर परियोजना

यह योजना सिंचित क्षेत्र का रकबा बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई थी।1982 में 70 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुई। बाद में समय बढ़ने के कारण इसकी लागत बढ़कर 700 करोड़ रुपये हो गई थी। इस योजना को पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने बड़े ही तामझाम के साथ उदघाटन किया था। लेकिन यह योजना दिखावा ही बनकर रह गई। इसके तहत मुंगेर जिला मुख्यालय से सटे डकरा के पास गंगा नदी से पानी को पंप के द्वारा केनाल एवं नहरों के माध्यम से जमालपुर, मुंगेर, धरहरा लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड क्षेत्र को सिंचाई सुविधा मुहैया कराना था। इस योजना से लगभग 1,200 एकड़ से भी अधिक भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य था। इससे किसानों को खरीफ एवं रबी दोनों फसल का लाभ मिलने की उम्मीद थी लेकिन यह दिवा स्वप्न साबित हुआ।

सिंचाई के लिए बनी ये परियोजना बदहाल होकर रह गई है। योजना के तहत बनी कई किलोमीटर लंबी नहर और केनाल धीरे-धीर ध्वस्त होता चला गया। सिंचाई के लिए खेतों में जगह-जगह पर लगे लोहा पाइप को लोग उखाड़ कर ले गए। केनाल में बिछाने के लिए रखी कितनी ईंटें टूट गए तो कितने लोगों ने निजी कार्य में लाया। इस योजना के असफल होने के पीछे का कारण गलत स्थल का चयन होना बताया जा रहा है। लेकिन सच्चाई से कोसो दूर थी। डकरा नाला परियोजना से मात्र तीन से चार किलोमीटर पर जमालपुर रेल कारखाना को अंग्रेजी हुकूमत के समय से निर्विवाद रूप से पानी की सप्लाई की जा रही है।


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