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श्री बंशीधर नगर: अनुमंडल क्षेत्र में चल रहा धर्म परिवर्तन का खेल, कई लोगों ने अपनाया ईसाई धर्म

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उज्ज्वल विश्वकर्मा

श्री बंशीधर नगर: गढ़वा जिले में कथित धर्म परिवर्तन का जबरदस्त खेल चल रहा है। यह गैर कानूनी खेल जिले के श्री बंशीधर नगर अनुमंडल मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर उत्तर में स्थित अलकर और उससे सटे तुलसीदामर गांव में चल रहा है। यहां लगभग 20-25 भोले भाले हिन्दू परिवार के सैकड़ों लोगों को प्रलोभन देकर ईसाई धर्म मे परिवर्तित कर दिया गया है। वहीं गांव के अन्य लोगों को भी धर्म परिवर्तन के लिए डोरे डाले जा रहे हैं। लोगों को तरह तरह के प्रलोभन व उससे भी नहीं मानने वालों दबाव डाला जा रहा है। यह खेल लगभग एक वर्षों से जारी है। जबकि इसकी भनक ना तो प्रशासन को है ना ही धर्म के ठेकेदारों को। जिन लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया है, वे अब पूरी तरह से कट्टर हो गए हैं। और गांव के अन्य लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए सुख शांति समृद्धि का भ्रम फैलाकर ईसाई धर्म अपनाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। और तो और गांव में हिन्दू परिवार में मृत्यु होने पर ऐसे लोग बैंड बाजे के साथ जश्न मना रहे हैं। उधर हिन्दू परिवार में मौत होने के बाद धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों के जश्न मनाने पर हिन्दू परिवार के लोग भारी विरोध जता रहे हैं। जिससे गांव में टकराव होने कभी भी बड़ा विवाद होने की संभावना बनी हुई है। धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों के इस कृत्य से आक्रोशित ग्रामीणों ने गोलबंद होकर प्रशासन से इस खेल पर अविलंब रोक लगाने के लिए कड़ा कदम उठाने की अपील की है।

कैसे हुआ खुलासा: श्री बंशीधर नगर अनुमंडल मुख्यालय के अलकर गांव निवासी विक्रम सिंह के 10 वर्षीय पुत्र 2 अप्रैल को बीमारी से मौत हो गयी थी। मौत के बाद पूरा गांव शोक में था। लोग मृतक के परिजन को सांत्वना दे रहे थे। उनके दुख में कदम से कदम मिलकर चल रहे थे। वहीं परिवर्तित ईसाई के लोग बाजे गाजे के साथ जश्न मना रहे थे। गांव में मातम होने पर ऐसा करने पर हिन्दू परिवारों ने कड़ा एतराज जताया। जिससे गांव में तनाव की स्थिति उतपन्न हो गयी। लोगों ने बीच बचाव करने का भरसक प्रयास किया। काफी मशक्कत के बाद माहौल शांत हुआ।

कैसे होता है धर्म परिवर्तन का खेल: अलकर और तुलसीदामर गांव अनुमंडल का काफी पिछड़ा गांव है। अधिकांस लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं। शिक्षा की कमी के कारण अंधविश्वास भी चरम पर है। इसी का फायदा उठाते हुए लोगों को बहला फुसलाकर ईसाई धर्म मे परिवर्तित किया जाता है। बाकायदा इसके लिए डालटनगंज व गढ़वा से लोग आकर इनलोगों का ब्रेन वाश करते हैं। जिससे भोले भाले लोग इनके जाल में फंसकर अपना धर्म त्याग कर ईसाई धर्म अपना लेते हैं। ईसाई धर्म अपनाने वाले रामवृक्ष घासी की माने हमलोग देवी दुर्गा को मानते थे। छठ जैसे महापर्व को महिलायें करती थी। लेकिन सुख शांति नही मिल पाती थी। जिसके बाद वे लोग ओझा गुनी के चक्कर मे पड़कर काफी मुर्गा खस्सी के नाम पर ओझा को पैसा देते गए लेकिन कोई फायदा नही हुआ। और ना ही शांति मिली। इसी दौरान बाहर से आये लोगों ने उन्हें सुख शांति के लिए ईसाई धर्म अपनने की सलाह दी। वे लोग पूरे परिवार के साथ ईसाई धर्म अपनाने के बाद घर मे सुख शांति आने के साथ साथ परिवार भी तेजी से विकास करने लगा। घर मे बच्चों की किलकारी गूंजने लगी। मखड़ू भुइयां और उसकी पत्नी विमला देवी ने बताया कि उसके बेटे प्रेमन भुइयां ने भी ईसाई धर्म अपना लिया। हमलोगों ने इसका भारी विरोध जताया लेकिन वह नही माना।

क्या कहते हैं ग्रामीण: अलकर गांव के ग्रामीण श्रवण सिंह, विजेंद्र कुमार, विंदहेवशरी सिंह, उमेश कुमार, भरोसा चंद्रवंशी, अनिरुद्ध सिंह, विजय सिंह, रॉकी उरांव, राजन, उमेश सिंह, सुशील सिंह सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि गांव में धर्म परिवर्तन का खेल तेजी से चल रहा है। बाहर से आकर लोग प्रलोभन देकर हिंदुओ को ईसाई धर्म मे परिवर्तित कराने का काम कर रहे हैं। हमलोगों को भी कई बार प्रलोभन दिया गया। लेकिन हमलोग अपने धर्म, संस्कृति सभ्यता की रक्षा करने का काम कर रहे हैं। हद तो तब हो गयी जब गांव में मातम था और ईसाई धर्म अपनाने वाले लोग बैंड बाजे के साथ जश्न मना रहे थे। ग्रामीणों ने कहा की ऐसे लोग गांव का माहौल बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। जल्द ही प्रशासन के द्वारा इस पर एक्शन नही लिया गया तो गांव की स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है।

 

क्या कहते हैं एसडीओ:एसडीओ प्रभाकर मिर्धा ने इस संबंध में पूछे जाने पर बताया कि मुझे इसकी जानकारी नही है। अगर ऐसा हो रहा है तो वे स्वयं मामले की जांच करेंगे। उसके बाद आगे की कार्यवाई की जाएगी।


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