रांची:फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सामुदायिक सहभागिता एवं जनांदोलन बहुत ज़रूरी: अपर मुख्य सचिव
आज से राज्य के 15 जिलों में शुरू किया जा रहा है मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम
रांची: राज्य सरकार द्वारा आज से राज्य के 15 फाइलेरिया प्रभावित जिलों (लोहरदगा, हजारीबाग, बोकारो, देवघर, धनबाद, गुमला, कोडरमा, पाकुड़, रामगढ़, साहिबगंज, सिमडेगा, गढवा, पू० सिंहभूम, प० सिंहभूम और रांची ) में फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एम.डी.ए) कार्यक्रम प्रारंभ किया जा रहा है।
राज्य के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य), अरुण कुमार सिंह ने बताया कि सिमडेगा को छोड़कर बाक़ी सभी 14 जिलों में 2 दवाओं डीईसी और अल्बंडाजोल एवं सिमडेगा जिले में 3 दवाओं डीईसी, अल्बंडाजोल के साथ आईवरमेंक्टिन की निर्धारित खुराक दवा प्रशासकों द्वारा बूथ एवं घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी। यह दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। ये दवाएं 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं दी जाएंगी। रैपिड रिस्पांस टीम दवा के सेवन के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक दवाओं के साथ मौके पर सक्रिय रहेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी कार्यक्रम की सफलता सामुदायिक भागीदारी से ही सुनिश्चित की जा सकती है और फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए हम सभी को एक साथ मिलकर इस लड़ाई को जीतना होगा।
राज्य के अभियान निदेशक डॉ. भुवनेश प्रताप सिंह ने बताया कि राज्य स्तर से जिला स्तर तक समन्वय बनाकर, मास ड्रग कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए सुनियोजित रणनीति के अनुसार कार्य किया जा रहा है ताकि कार्यक्रम के अंतर्गत सम्पादित होने वाली गतिविधियाँ गुणवत्ता के साथ पूर्ण की जा सकें और कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया रोधी दवाईयों और मानव संसाधनों की कोई कमी न हो। इस कार्यक्रम की प्रतिदिन राज्य स्तर पर समीक्षा की जायेगी और कार्यक्रम के दौरान आने वाली हर समस्या का तुरंत समाधान किया जायेगा। हमारा लक्ष्य है कि इस बार 100 प्रतिशत लाभार्थियों द्वारा फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन सुनिश्चित किया जाये।
राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम, डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है और यह दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है।
फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। राज्य में वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार लिम्फेडेमा के 5691 मरीज चिन्हित किए गए हैं और कुल हाइड्रोसील के 11713 मरीज हैं। जिसमें से 9365 (80%) मरीजों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है।
इसके साथ ही 41680 फाइलेरिया मरीजों को एम.एम. डी. पी. किट निशुल्क प्रदान की गयी है। इस कार्यक्रम के सफल किर्यन्वयन हेतु उपरोक्त समस्त जिलों के कुल 1,45,60,220 लाभुकों को दवा सेवन का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्यक्रम की निगरानी हेतु पर्यवेक्षकों को भी लगाया गया है, तथा किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु चिकित्सक के नेतृत्व में जिला एवं ब्लॉक स्तर पर रेपिड रेस्पान्स टीमों का भी गठन किया गया हैं।