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मुंगेर में अतिक्रमणकारियों को है खुली छूट,सरकारी भवन को तोङकर बना लिया तीन मंजिला मकान,शिकायत के बाद भी जिला प्रशासन खामोश

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डॉ शशि कांत सुमन
मुंगेर: एक तरफ महागठबंधन की सरकारी जमीन और भवन पर अतिक्रमण करने वाले लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई और बुलडोजर चलाकर भवन और जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने की बात जोर शोर से कह रही है । वहीं दूसरी ओर उन्हीं के आला अधिकारी इस मामले में उदासीन की बने हुए हैं। जिसका परिणाम है कि शिकायत के बाद भी सरकारी भवन और जमीन अतिक्रमण मुक्त नहीं हो पा रहा है। इसे प्रशासनिक पदाधिकारियों की उदासीनता कहे या कुछ और …! जिसके कारण मुंगेर में अतिक्रमणकारियों के हौसले अब भी बुलंद है। मामला मुंगेर जिले के सदर अंचल क्षेत्र का है। बताते चलें कि वर्ष 2019 में मुंगेर सदर प्रखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत नौवागढ़ी के अधीन ग्राम बजरंगबली नगर के दलितों ने अनुसूचित जाति सामुदायिक भवन को तोड़कर निजी तीन मंजिला मकान बनाने वालों के विरुद्ध तत्कालीन डीएम राजेश कुमार मीणा को आवेदन दिया था । आवेदन के आलोक में तत्कालीन डीएम ने जिला कल्याण पदाधिकारी को जांच कर जांच प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया था। तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी, मुंगेर स्थलीय जांच कर अपने कार्यालय के पत्रांक 1303 दिनांक 19 दिसंबर 2019 के द्वारा डीएम को जांच प्रतिवेदन में ग्रामीणों के शिकायत को सत्य बताते हुए अतिक्रमण कारी पर विधि सम्मत कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी। जांच पदाधिकारी तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी ने अपनी जांच प्रतिवेदन में कहां है कि वर्तमान समय में सामुदायिक भवन का पूर्णता अतिक्रमण कर लिया गया है। साथ ही सामुदायिक बन के छत के ऊपर ईट रख दिया गया है। इसके अलावा सामुदायिक भवन में अवस्थित शौचालय को तोड़कर उसके ऊपर मकान भी बना लिया गया है। जिला कल्याण पदाधिकारी ने अपने रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि सामुदायिक भवन निर्माण होने के पश्चात आज तक किसी भी प्रकार का अतिक्रमण के कारण कोई भी कार्यक्रम नहीं किया जा सका है। जांच रिपोर्ट में जांच पदाधिकारी ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि अतिक्रमण कारी सच्चिदानंद पासवान, पिता स्वर्गीय हरी लाल पासवान का मंशा सही प्रतीत नहीं होता है। उनका सोच है कि सामुदायिक भवन किसी तरह ध्वस्त हो जाए, ताकि पूर्ण रूप से कब्जा किया जा सके। जांच पदाधिकारी ने डीएम को सौंपे जांच प्रतिवेदन में अतिक्रमण कारी पर विधि सम्मत कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपा था। सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि तत्कालीन डीएम के निर्देश पर जांच पदाधिकारी जिला कल्याण पदाधिकारी ने आज से 20 माह पूर्व जांच प्रतिवेदन डीएम कार्यालय को सौंप दिया, लेकिन 20 महीना बीतने के बाद भी आज तक जिला कल्याण पदाधिकारी के जांच प्रतिवेदन पर समाहरणालय के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से लोग अब सवाल उठाने लग गए हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर जिला कल्याण पदाधिकारी के द्वारा जांच रिपोर्ट सुपुर्द किए जाने के बाद भी समाहाणालय के द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई अतिक्रमण कारी पर नहीं होना क्या यह उचित है ? ग्रामीण सवालिया लहजे में कहते हैं कि जब जिला प्रशासन के आला अधिकारी सरकारी भवन और सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं तो फिर आम लोगों की निजी जमीन को दूसरे के कब्जे से मुक्त कराने में कितनी दिलचस्पी लेते होंगे ? यह अहम सवाल है। जांच पदाधिकारी रहे तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी के अनुशंसा पर भी सरकारी सामुदायिक भवन को तोड़कर नीजी मकान बनाने वाले अतिक्रमणकारी पर प्राथमिकी दर्ज नहीं होना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि अगर डीएम साहब मामले की दिलचस्पी लेकर अगर जांच करेंगे तो डीएम कार्यालय के लिपिक की गर्दन फंस सकती है। ग्रामीण आशंका जाहिर करते हैं कि कही जिला कल्याण पदाधिकारी के जांच प्रतिवेदन पर डीएम कार्यालय के लिपिक तो कहीं कुंडली मारकर नहीं बैठे हुए हैं?


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