प्रगति के नए आयाम के साथ बदल रहा है भारत
विवेक यादव
वैश्विक महामारी को रोना के दुष्प्रभाव से दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हुई । भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। लेकिन गतिशील नेतृत्व और कुशल कार्ययोजना के जरिए भारत सरकार ने अपनी आर्थिक स्थिति को फिर से न सिर्फ पटरी पर लाया बल्कि इसमें उल्लेखनीय उपलब्धि भी हासिल की। सरकार के इस दिशा में अथक प्रयास का ही नतीजा है कि आज भारत आर्थिक मोर्चे पर ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
प्रगति की इस रफ्तार ने भारत को जी-20 देशों में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश बना दिया है। यह असाधारण उपलब्धि बस यूं ही नहीं हासिल हुई है, और न ही किसी एक क्षेत्र में भारत ने प्रगति के नये आयाम स्थापित किए हैं। हकीकत यह है कि उपभोग उपभोक्ता और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाजार के मामले में भी भारत ने प्रगति की नई ऊंचाई हासिल की है। मिसाल के तौर पर हम देखें तो आज स्मार्टफोन जहां उपभोक्ता के मामले में भारत विश्व में पहले स्थान पर है वहीं इंटरनेट उपयोग के मामले में इसका स्थान दूसरे नंबर पर है। बात वैश्विक खुदरा सूचकांक की करें तो इस क्षेत्र में भी भारत का स्थान दूसरा है। ऊर्जा की खपत के मामले में विश्व स्तर पर भारत का स्थान तीसरा है।
प्रगति और बदलाव की एक प्रभावी तस्वीर को हम इस रूप में भी देख सकते हैं कि आज भारत जिसने अपने देश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कारगर प्रयास किया है उसका प्रतिफल यह हुआ है कि वैश्विक स्तर पर नवाचार सूचकांक में भी इसके स्तर में काफी सुधार आया है। दूसरी ओर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भी कई अहम काम किए गए हैं। इसी का परिणाम है कि वर्तमान वर्ष में भारत में 50 लाख करोड़ रुपए के सामान का निर्यात किया इतना ही नहीं कई गंभीर चुनौतियों का सामना करते हुए भारत में 31 लाख करोड़ रुपए के सामान का निर्यात कर रिकॉर्ड भी बनाया।
पिछले 8 वर्षों में 100 बिलियन डॉलर से अधिक की कंपनियां बनायी गयी और इसमें अभी भी नई कंपनी जोड़ी जा रही है। इस यूनिकॉर्न की कीमत अभी करीब 12 लाख करोड़ रूपये आंकी गयी है। केंद्र सरकार ने 2014 के बाद नवाचार को बढ़ावा दिया ताकि देश की प्रगति में इसका फायदा मिल सके। इसके तहत 10 हजार स्टार्टअप तक पहुंचने में जहां आठ सौ दिन लगे वही बाद में इसने जो रफ्तार पकड़ी तो महज 200 दिनों में दस हजार नए स्टार्टअप से जुड़ गए। बीते 8 वर्षों में देश के विभिन्न राज्यों के कई छोटे शहरों तक फैले इन स्टार्टअप की संख्या 70 हजार हो गई है जो कि देश के 650 से अधिक जिलों में कार्यरत हैं। इनमें आधे तो टियर-दो और तीन टाईप शहरों में काम कर रहे हैं।
इसी इसी तरह सरकार द्वारा देश में डिजिटल क्रांति को बढ़ावा देने का सुफल यह है कि जहां 2014 में भारत में केवल 6.5 करोड़ ब्रॉडबैंड उपभोक्ता थे वही आज इनकी संख्या बढ़कर 78 करोड़ हो गई है। शुरुआत के दिनों में यानी 2014 में एक जीबी डाटा का मूल्य करीब ₹200 होता था पर आज इसकी सहज और सस्ती उपलब्धता का असर है कि इसकी कीमत ₹11 से ₹12 हो गई है। 2014 में देश में 11 लाख किमी ही ऑप्टिकल फाइबर था पर आजयह बढ़कर 28 लाख किलोमीटर से अधिक हो गया है। देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में भी केंद्र सरकार ने बड़े और प्रभावी प्रयास किए हैं। इसका ही परिणाम है कि आज लगभग दो लाख करोड़ रुपए की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन पीएलआई योजना शुरू की गई है।
सरकार ने लाभार्थियों तक सीधे उनके हिस्से की रकम पहुंचाने के लिए विभिन्न सरकारी योजना एवं कार्यक्रमों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम शुरू की ताकि बिचौलियों की अनपेक्षित भूमिका समाप्त की जा सके यह कारगर भी हुआ और इससे लोग लाभान्वित हुए। आज इसके जरिए लाभार्थियों तक 22 लाख करोड़ रुपए से अधिक की रकम भेजी जा चुकी है। इसके अलावा सरकार ने सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचे में भी काफी निवेश किया है वहीं मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी पर भी ध्यान दिया जा रहा है। नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए देश में आम सहमति का माहौल तो बनाया ही गया है साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में और सुधार लाने के लिए नई स्वास्थ्य नीति लागू करने की भी तैयारी चल रही है। देश में मेट्रो कनेक्टिविटी पर तो रिकॉर्ड काम हो ही रहे हैं साथ ही छोटे शहरों में भी लोगों को हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हवाई अड्डे का निर्माण कराया जा रहा है।
संचार क्रांति के क्षेत्र में निरंतर प्रगति की ओर बढ़ रहा भारत अब अपने यहां उपभोक्ताओं को 5-जी सेवा भी उपलब्ध कराने को तैयार है। देश में डिजिटल लेन दन में भी उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। आज वैश्विक स्तर पर डिजिटल लेनदेन के आंकड़ों पर गौर करें तो इसका 40% केवल भारत में हो रहा है। और यह नूतन प्रक्रिया सिर्फ शहरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि गांवों में भी इसका चलन बढ़ा है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत देश के किसानों के खाते में अब तक दो लाख करोड़ रुपए भेजे गये हैं ताकि कृषि कार्य में भी इसका उपयोग कर सकें। तीन करोड़ गरीब लोगों को पक्के मकान तथा 50 करोड़ से अधिक को पांच लाख तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है। पीएम स्वनिधि के तहत 35 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को आर्थिक मदद दी गई है ताकि उनकी आर्थिक तंगी दूर हो सके। स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना के तहत 20 लाख करोड़ रुपए से अधिक कर्ज छोटे उद्यमियों को दिए गए हैं। इसमें 70% ऋण महिला उद्यमियों को दिए गए हैं। आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना की वजह से डेढ़ करोड़ लोगों की नौकरियां बचायीं गयीं। बात एमएसएमई की करें तो आज देश में ग्यारह करोड़ से अधिक लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस क्षेत्र से जुड़े हैं। सरकार में बीते 8 वर्षों में 650% से ज्यादा इसके बजट में वृद्धि की है। सरकार ने आपातकालीन क्रेडिटलाइन गारंटी योजना के तहत इस सेक्टर के लिए 305 लाख करोड़ रुपए सुनिश्चित किए हैं ताकि संकट की घड़ी में छोटे उद्यमों को इसके सहारे बचाया जा सके।
अनुपयोगी कानूनों से कई तरह की परेशानी को बाधित कर रही थी। इसे ध्यान में रखकर सरकार ने 1500 से अधिक कानूनों को समाप्त कर दिया है। कंपनियों की परेशानी वाले कानून भी बदले गए हैं ताकि वे आगे बढ़ सकें। विभिन्न तरह के करों के बोझ को समाप्त कर एक कर जीएसटी लागू किया गया है।
इससे सभी को राहत मिली है। अब जीएसटी संग्रह हर महीने एक लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। दरअसल सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में सुधार कर प्रगति के लिए जो नई राह चुनी है वह उसके ठोस और स्पष्ट नीतियों का प्रतिबिंब है। आज देश में कई नए इंटरफ़ेस तैयार किए जा रहे हैं और बीआईआरएसी जैसे प्लेटफार्म को सशक्त बनाया जा रहा है। अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए इन-स्पेस रक्षा क्षेत्र के नए आईडेक्स, युवाओं में नवाचार को प्रोत्साहित करने हेतु स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन सहित कई अन्य नूतन प्रयास से देश लाभान्वित हो रहा है। देश को अनुसंधान और शिक्षा से नयी सफलताएं मिलती हैं वहीं उद्योग वास्तविक दुनिया के दृष्टिकोण में मदद करता है और सरकार आवश्यक नीतिगत तथा बुनियादी ढ़ांचा प्रदान करती है। युवाओं को सहयोग और उनके फायदे के लिए लगातार सरकार कदम उठा रही है। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में निजी उद्योग के लिए खोलना, अंतरिक्ष उद्योग में निजी भागीदारी, आधुनिक ड्रोन नीति, दूरसंचार क्षेत्र में कहीं से भी काम करने की सुविधा प्रदान कर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह सब के लिए और सभी क्षेत्रों में सकारात्मक एवं गुणात्मक बदलाव के लिए काम कर रही है। प्रगति में सिर्फ सरकारी क्षेत्र पर ही निर्भरता नहीं रहे, इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका और योगदान भी अधिकाधिक हो सके इसे ध्यान में रखकर ही सरकार ने ऐसे प्रयास और व्यवस्था की है कि देश का निजी क्षेत्र भी ईज ऑफ लिविंग में समान रूप से देश और देशवासियों के लिए अपना योगदान दे सके।
उपर्युक्त वर्णित तथ्यों के आधार पर यह समझा और माना जा सकता है कि भारत प्रगति के जिस पथ पर नए बदलाव के साथ चलना प्रारंभ किया था, उस राह में अभी प्रगति के कई झंडे वैश्विक स्तर पर गाड़े जाएंगे तथा देशवासियों को इससे गर्व की तो अनुभूति होगी ही साथ में वे लाभान्वित भी होंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )