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भवनाथपुर: ऐतिहासिक शिवपहाडी गुफा में लाखो श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ का दर्शन कर मेले का आनन्द उठाया।

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भवनाथपुर।प्रखण्ड क्षेत्र के ऐतिहासिक शिवपहाडी गुफा में महाशिवरात्रि के मौके पर आसपास क्षेत्र सहित बिहार एवं यूपी से आये लाखो श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ का दर्शन मेले का आनन्द उठाया। भवनाथपुर मुख्यालय से लगभग 4 किलोमीटर दूर पंडरिया पंचायत में प्राकृतिक छटा के बीच स्थित प्रसिद्ध शिव पहाड़ी गुफा अपने आप में कई अजूबे रहस्य समेटे हुए हैं।यही कारण है कि यह गुफा शिव भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।शिव पहाड़ी गुफा का प्रवेश द्वार इतना संकीर्ण है कि कई लोग तो अंदर जाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाते हैं, किंतु करवट के सहारे लगभग 100 फीट अंदर जाते ही शिवलिंग के दर्शन हो जाते हैं।उक्त स्थान पर लगभग 100 से अधिक लोग बैठकर भजन कीर्तन कर सकते हैं।उक्त स्थान प्रचंड गर्मी के बावजूद सितलता का एहसास होता है। महाशिवरात्रि के दिन आसपास सहित बिहार, छत्तीसगढ़ एवं यूपी से हजारों लोग शिव दर्शन के लिए आते हैं।शिवलिंग से करीब 30 फीट और नीचे काशी करवट जाने के बाद सूरज की सीधी किरण का भी दीदार होता है।यहां बड़ी-बड़ी चट्टानों एक दूसरे पर लगे होने एवं इतनी गहराई में जाने के बावजूद सूर्य की किरणों का दिखाना गुफा यात्रा को रोमांचक बनता है। काशी करवट के बाद अत्यंत जटिल रास्ते हैं इसके कारण कोई आगे जाने की हिम्मत नहीं कर पता है।कहा जाता है की गुफा के भीतर से ही रास्ता सोन नदी तक जाती है किन्तु इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है।

बुजुर्ग ग्रामीणों की माने तो लगभग 155 वर्ष पूर्व चपरी के सुखदेव चौबे उक्त गुफा में शिवलिंग होने का सपना देखे थे। इसके बाद वहां पूजा पाठ प्रारंभ हो गया।उक्त गुफा के बारे में एक कथा प्रचलित है कि पूर्व में आसपास के लोग शादी विवाह के अवसर पर भगवान भोले को गुफा में निमंत्रण देने जाते थे एवं गुफा से उन्हें भोजन पकाने हेतु बर्तन प्राप्त होता था।इस बर्तन को वह कार्यक्रम समाप्ति के बाद गुफा के मुख्य द्वार पर रख आते थे।किंतु किसी ने बर्तन प्राप्त कर वापस नहीं की तभी से या प्रथा बंद हो गई है।भवनाथपुर में सेल द्वारा एशिया का दूसरी सबसे बड़ी कृषक प्लांट लगाने के बाद उक्त क्षेत्र की जमीन अधिग्रहण कर आसपास चूना पत्थर का उत्खनन करने लगी।लोगों की माने तो उक्त पहाड़ी के पत्थर तोड़ने का कार्य प्रारंभ करते ही उत्खनन कार्य में लगे अधिकारी को खून के पेशाब आने लगे तथा वह अजीबोगरीब सपने देखने लगे।तब से शिव पहाड़ी के पत्थरों को किसी ने तोड़ने की नीयत से छुआ भी नहीं।


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