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कांडी: एक सरकारी स्कूल सबुआ प्रावि को बंद कराना चाहते हैं कुछ लोग

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पतले मेंड़ पर चलकर जाते आते हैं बच्चे। 

 

  • स्कूल की 77 फीसदी यानि 26 में से 20 डिसमिल जमीन पर जमा रखा है अवैध कब्जा

 

  • मापी एवं खुंटागड़ी के बाद भी खुंटा फेंककर जबरन जोत लिया जमीन, बच्चों को आने जाने का रास्ता भी नहीं

 

 

साकेत मिश्रा 

कांडी : प्रखंड क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल को कुछ निहित स्वार्थी तत्वों के द्वारा पूरी तरह बंद करा देने का अभियान चलाया गया है। उनके द्वारा यह षड्यंत्र कई दशकों से चलाया जा रहा है। जिसमें वे सफल होते भी दिखाई दे रहे हैं। इनके कुचक्र के कारण ऐसी आशंका है कि कुछ ही समय में यह स्कूल पूरी तरह बंद हो जाएगा। क्योंकि विद्यालय की 77 प्रतिशत जमीन पर वे दशकों से अवैध कब्जा जमाए हुए हैं। अब वे स्कूल बंद कराकर शेष बची संपति पर भी कब्जा जमाना चाहते हैं। राजकीय प्राथमिक विद्यालय सबुआ के प्रधानाध्यापक नवीन कुमार दुबे एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष शिवकुमार चौबे ने उक्त बातें कहीं। कांडी प्रखंड क्षेत्र के लमारी कला पंचायत अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय सबुआ की स्थापना 64 साल पहले वर्ष 1959 में की गई थी। उसी समय सबुआ निवासी एक शिक्षा प्रेमी व दानवीर व्यक्ति स्वर्गीय सूर्यदेव लाल ने अपनी 14 डिसमिल रैयती जमीन स्कूल के लिए राज्यपाल के नाम से रजिस्ट्री की थी। जबकि सबुआ गांव के सिवाना पर स्थित हरिगांवां गांव की 12 डिसमिल गैरमजरूआ जमीन भी स्कूल के नाम से उठाई गई थी। लेकिन शुरू से ही सबुआ गांव में स्कूल की अधिकांश जमीन पर ग्रामवासी पूर्व शिक्षक हरि गंगाराम एवं हरिगांवां गांव की जमीन पर सरयू साह, दूधेश्वर साह एवं शिवनाथ साह वगैरह ने कब्जा जमा रखा है।

जिस कारण स्कूल में जरूरत भर भी जमीन नहीं बची है। जिस कारण स्कूल में बच्चों एवं शिक्षकों के आने जाने में भी घोर परेशानी होती है। इसे लेकर विद्यालय परिवार ने जमीन की मापी के लिए अंचल कार्यालय कांडी में सात वर्षों से आवेदन देते एवं पैरवी करते परेशान हो गए थे। सात वर्षों के बाद अंचल पदाधिकारी कांडी अजय कुमार दास के पत्रांक 129 दिनांक 17 मार्च 2023 के निर्देशानुसार 18 मार्च 2023 को सरकारी अमीन अमलेश कुमार एवं राजस्व उपनिरीक्षक दीपक कुमार यादव की उपस्थिति में विद्यालय के जमीन की मापी करके इसका सीमांकन कर दिया गया। सरकारी अमीन के द्वारा अंचल कार्यालय में सौंपे गए रिपोर्ट एवं नक्शा के अनुसार खाता नंबर 80 एवं 147 प्लॉट नंबर 342 एवं 343 में सबुआ गांव की 14 डिसमिल जमीन अवस्थित है। इसमें प्लॉट नंबर 342 में पूर्व शिक्षक हरिगंगा राम ने 11 डिसमिल जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है। जबकि हरिगांवां गांव के प्लॉट संख्या 546 में सरयू साह, दूधेश्वर साह एवं शिवनाथ साह ने नौ डिसमिल जमीन पर कब्जा जमा रखा है। इस सीमांकन के आधार पर जमीन की खूंटागड़ी कर दी गई। लेकिन उपरोक्त स्वार्थी तत्वों ने सीमांकन के बाद की गई खुटागड़ी को उखाड़ कर फेंक दिया तथा जमीन को पूर्व की तरह जोत कर उसमें फसल लगा दिया। वस्तुस्थिति यह है कि विद्यालय के नाम से दोनों गांव में मिलाकर 26 डिसमिल जमीन है। जिसमें से दोनों अवैध कब्जा धारी पक्षों ने 20 डिसमिल जमीन पर कब्जा जमा रखा है। इस प्रकार विद्यालय के पास मात्र छह डिसमिल जमीन बचती है। जिस पर विद्यालय का भवन अवस्थित है। विद्यालय की अपनी जमीन होते हुए भी यहां आने जाने का रास्ता भी नहीं है। एक बेहद पतली मेंड़ पर होकर बच्चे आते जाते हैं। जिस पर से प्रतिदिन कई बच्चे खेत में गिर जाते हैं। इस से भी खतरनाक स्थिति तब होती है जब बारिश होने के बाद खेत में पानी भर जाता है। इस स्थिति में उसी पानी और कीचड़ में से होकर बच्चों और शिक्षकों को आना जाना पड़ता है। विद्यालय की जमीन के सीमांकन के बाद की परिस्थिति को लेकर गुरुवार को प्रधानाध्यापक एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ने प्रभारी अंचल पदाधिकारी मनोज कुमार तिवारी को आवेदन देकर खूंटागड़ी की हुई जमीन पर फिर से खूंटा उखाड़ कर कब्जा कर लिए जाने की फरियाद की। लेकिन अंचल पदाधिकारी ने आवेदन लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जमीन की मापी करके सीमांकन कर दिया गया। अब मैं जमीन पर बैठकर अगोरिया (पहरा) नहीं कर सकता हूं। आप लोग खुद जमीन का पहरा कीजिए। इसके बाद शिक्षक व अध्यक्ष के द्वारा तत्संबंधी आवेदन थाना प्रभारी को दिया गया। थाना प्रभारी योगेंद्र कुमार ने कहा कि इस मामले में इनके अकेले की कोई भूमिका नहीं है। अंचल पदाधिकारी स्वयं जाएंगे एवं मुझे लिखकर देंगे तो मैं साथ में जाकर आवश्यक कार्रवाई कर सकता हूं। इस प्रकार अवैध कब्जा धारियों के द्वारा जानबूझकर विद्यालय परिवार को इतना परेशान किया जा रहा है कि वे लोग तबाह होकर तमाम कार्यवाही बंद कर दें और वे तमाम जमीन एवं विद्यालय भवन पर भी अपना कब्जा जमा लें। तारीफ की बात यह है कि स्कूल की जमीन पर कब्जा करने वालों में हरिगंगा राम खुद सरकारी शिक्षक की सेवा से सेवानिवृत्त हुए हैं। उनके द्वारा ही एक विद्यालय के साथ ऐसा कृत्य किया जा रहा है।


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