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कटिहार: डेंगू की जांच निजी अस्पताल एवं जांच घरों में कराने को लेकर दिया गया आवश्यक दिशा-निर्देश

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रैपिड डायग्नोस्टिक कीट जांच से संदिग्ध रोगियों की होती हैं पहचान: एसपीओ
ज़िले में एक भी डेंगू के मरीज नहीं ही, लेकिन सतर्कता जरूरी: सिविल सर्जन
डेंगू से बचाव के लिए शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर: डॉ जेपी सिंह
बरसात के दिनों में जलजमाव के कारण बढ़ता है मच्छरों का प्रकोप: डीपीएम

कटिहार:स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक सह वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ विनय कुमार शर्मा ने राज्य के सभी सिविल सर्जन को डेंगू की जांच ज़िले  के निजी अस्पताल एवं जांच घरों में कराने से संबंधित दिशा-निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि निजी अस्पतालों एवं जांच घरों में डेंगू की जांच रैपिड डायग्नोस्टिक कीट (आरडीटी किट) से करने के बाद परिणाम आते ही उसे डेंगू मरीज घोषित कर दिया जाता है। हालांकि रैपिड डायग्नोस्टिक कीट जांच से संदिग्ध रोगी चिन्हित किए जा सकते हैं। लेकिन यह जांच रोग को लक्षित नहीं करता है। इस वजह से समाज में अनावश्यक भय व्याप्त हो जाता है। भारत सरकार द्वारा डेंगू की अधिकारिक रूप से जांच की प्रक्रिया केवल एलिसा एनएस1 एवं आईजीएम किट से करने का निर्देश है।

 

ज़िले में एक भी डेंगू के मरीज नहीं, लेकिन सतर्कता जरूरी: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ डीएन झा ने बताया कि ज़िले में फिलहाल डेंगू के एक भी मरीज नहीं है लेकिन इसके बावजूद हमलोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। राज्य में डेंगू जांच के लिए चिन्हित सभी 09 सेंसेनेल सर्विलांस अस्पताल जैसे: पटना स्थित पीएमसीएच, एनएमसीएच, एम्स, आईजीआईएमएस, आरएमआरआईएमएस के अलावाभागलपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर एवं गया के मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में पर्याप्त संख्या में एलिसा जांच कीट उपलब्ध है। यहां डेंगू की निःशुल्क जांच की व्यवस्था उपलब्ध है। इसके अलावा ज़िले  के सभी निजी अस्पताल एवं जांच घरों में जांच की व्यवस्था शुरू करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू की जांच एन एस1 एंटीजन एलिसा एवं जीएम एंटीबॉडी दोनों ही तरह से कराई जा रही है। वर्तमान में हम आगे की जांच तक डेंगू के मामलों में एन एस1 संक्रमित मरीज़ों का इलाज करेंगे।

 

डेंगू से बचाव के लिए शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर: डॉ जेपी सिंह
ज़िला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी सिंह ने बताया कि वेक्टर जनित रोगों में वे सभी रोग आ जाते हैं जो मच्छर, मक्खी या कीट के काटने से होते हैं, जैसे: डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, स्क्रब टायफस या लेप्टोंस्पायरोसिस आदि। मलेरिया एवं डेंगू या अन्य वेक्टर जनित रोगों से बचने के लिए दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए। मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का प्रयोग दिन में भी कर सकते हैं। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर है। घर के सभी कमरों की सफ़ाई के साथ ही टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रिज में पानी को स्थिर नहीं होने देना चाहिए। गमला, फूलदान का पानी एक दिन के अंतराल पर बदलना जरूरी है।

 

बरसात के दिनों में जलजमाव के कारण बढ़ता है मच्छरों का प्रकोप: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डॉ किशलय कुमार का कहना है कि बरसात के मौसम में जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप काफ़ी बढ़ जाता है। इस कारण मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने की संभावना प्रबल हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ज़िले में मच्छरों से बचाव करने एवं सुरक्षित रहने के लिए मीडिया एवं सोशल मीडिया साईट्स के माध्यम से जागरूकता चलाई जा रहे है। मच्छरों से होने वाली बीमारियों में मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, जापानी इन्सेफेलाइटिस, जीका वायरस, चिकनगुनिया आदि प्रमुख हैं। वहीं मच्छरों के काटने से सबसे अधिक मामले मलेरिया और डेंगू के ही आते हैं। घर के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर सतर्कता बरतना जरूरी है। वही मॉल एवं दुकान चलाने वाले लोग भी खाली जगहों पर रखे डिब्बे और कार्टुन में पानी जमा नहीं होने दें।


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