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रमना: 75वर्षो से लगातार हो रही माता दुर्गा रानी का वार्षिक पूजा।

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दिनेश गुप्ता

 

रमना: प्रखंड मुख्यालय के इकलौता दुर्गा मंदिर में विगत 75वर्षों से निरंतर वार्षिक दसहरा पूजा निरंतर जारी की जा रही है.पूजा की शुरुवात 1950ई से कपड़े के पंडाल से शुरू हुवा.जिसमे स्थानीय निवासी सीताराम साह,सुनेश्वर साह, शिवपूजन साह,प्रदुमन प्रसाद गुप्ता, गोपाल प्रसाद गुप्ता,शिव साह,मदन साह (अभी सभी मृत) सहित पंचायत के मुखिया बाबू केदार नाथ सिंह के अलावे अन्य प्रबुद्ध लोगो ने की थी.जिसके बाद स्थानीय लोगो के मदद से सन 1968 ई में देवी मंडप का निर्माण कराया गया.हालाँकि मंदिर मंडप निर्माण कार्य कराने में लोगो को काफी जद्दोजहद का भी सामना करना पड़ा था.तब रामनरेश साह ने पुजारी के तौर पर कई वर्षों तक अपनी सेवा दी थी.इसके बाद क्रमशः मुख्य रूप से गोपाल प्रसाद गुप्ता,राकेश कुमार उर्फ गुड़ु प्रसाद,विश्वजीत कुमार,उपेंद्र प्रसाद,राजेश कुमार,संजय प्रसाद,राजू कुमार,दिनेश गुप्ता(वर्तमान)ने सराहनीय भूमिका निभाते हुवे मंदिर में होने वाले पूजा महोत्सव में अहम योगदान देते रहें है.जय भवानी संघ के तत्वधान में यह वार्षिक पूजा महोत्सव पूरे धूमधाम से मनाये जाने लगा.दुर्गा पूजा का महत्व इस तरह है की अब यह केवल मुख्यालय नही बल्कि प्रखंड के दूरदराज से लोग आस्था और विश्वास मानकर इस मंदिर के पूजा के बाद दुर्गा प्रतिमा विषर्जन में सैकड़ो लोग भाग लेने लगे.प्रतिमा विषर्जन शुरू से ही श्रद्धालुओं के द्वारा तीन किलोमीटर दूर अपने कंधे के सहारे किया जाता रहा है.जिसे अपने कंधे पर लेने के लिए होड़ मची रहती है.लोगो की मान्यता है कि विषर्जन के दौरान अपने कंधा लगाने से माँ से मांगी हुई सभी मुरादे पूरी होती है.पुरोहित रामचंद्र मिश्रा ने पुरानी बातों को याद दिलाते हुवे कहा कि बाजार में प्रत्येक वर्ष पूरे विधिविधान से नियमित रूप से पूजा होती रही है.श्री मिश्रा ने कहा कि गढ़वा जिले में विराजमान गढ़देवी मंदिर से पुराना सम्बंध रहा है.उन्होंने कहा कि अभी तक गढ़देवी मंदिर से ही पूजा की समय तिथि मिलान कर पूजा पाठ सम्पन कराई जाती रही है.


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