गढ़वा: इसे कहते हैं भाई के प्रति बहन का अटूट प्रेम
गढ़वा: आज रक्षाबंधन का त्योहार है,कोई भाई अपने बहन के यहां पहुंचा है तो बहन भी ससुराल से मायके पहुंची है ताकि भाई की कलाई पर राखी बांध सकूं,पर कई बार ऐसा होता है की कुछ का राखी बंध जाता है तो कई की कलाई सुनी रह जाती है,कुछ ऐसा ही वाक्या अपने गढ़वा में नुमाया हुआ जब अपने इकलौते भाई को राखी बांधने उसकी दो बहन मायके ज़रूर पहुंची पर जहां एक ओर एक बहन को आज सुबह बिना राखी बांधे ही ससुराल लौटना पड़ा तो वहीं दूसरी को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती होना पड़ा,आख़िर ऐसा वाक्या किसके साथ गुजरा आइए आपको बताते हैं।
यह वाक्या गढ़वा का है: – आप ज़रूर जानना चाह रहे हैं तो आपको बताऊं की गढ़वा निवासी पत्रकार आशुतोष रंजन की दो बहन अभिलाषा चांदनी और छोटी बहन ऋचा रश्मि दोनो भाई को राखी बांधने के वास्ते मायके यानी गढ़वा पहुंची,खुशी खुशी बाज़ार जा कर खरीददारी करते हुए उनके द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई,लेकिन कहा गया है न की आप जहां भी जाएं क़िस्मत आपके साथ चलता है,ठीक उसी तरह इन तीनो भाई बहन का किस्मत भी उनके साथ ही था,तभी तो पल भर में ही खुशी गम में बदल गया,दुखद संयोग देखिए त्योहार से दो रोज़ पहले छोटी बहन का तबियत अचानक खराब होता है जो मुख्यालय के परमेश्वरी अस्पताल में गंभीरावस्था में इलाजरत हो जाती है तो एक रोज पहले बड़ी बहन के ससुराल में रिश्तेदार की मौत हो गई,नतीज़ा हुआ की बड़ी बहन राखी के दिन अहले सुबह बिना भाई को राखी बांधे ही ससुराल चली गई,उधर दोनो बहन के घर आने से खुश भाई कई रोज़ से तैयारी में जुटा हुआ था,पर हमेशा किस्मत का मार झेलने वाले भाई आशुतोष को किस्मत द्वारा इस अटूट प्रेम के त्योहार रोज़ भी नफ़रत ही किया गया,तभी तो मजबूरीवश बिना राखी बांधे बड़ी बहन के चले जाने से मुरझाए चेहरे पर तब थोड़ी रौनक आई,जब गंभीरावस्था में अस्पताल के बेड पर इलाजरत छोटी बहन द्वारा अपने कष्ट को थोड़ी देर के लिए परे रखते हुए अपने भाई को राखी बांधा गया और कहा गया की हम तीनों के जीवन में लाख विपरीत परिस्थिति आए पर अपना अटूट प्रेम यूं ही कायम रहे।