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भागवत कथा सुनने से पापों से मुक्ति मिलती है:-जीयर स्वामी।

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भागवत कथा सुनने के कारण ही भक्ति के पुत्र ज्ञान तथा वैराग्य ठीक हो गए। श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान की साक्षात् मुर्ति हैं। इससे सुनने से स्मरण से पापों का नाश होता है। आत्मा तृप्त होती है। दिल दिमाग शांत होता है। श्रीमद्भागवत के कथा के कारण ही भक्ति के दोनों पुत्र स्वस्थ हो गए।

 

कीर्तन आनंद का विषय होता है।

 

कीर्तन आनंद का विषय होता है। कीर्तन में तन्मयता होनी चाहिए। कीर्तन का बहुत बड़ा महत्व होता है। शास्त्र में भगवान को पूजन करने के लिए अनेक उपाय बताया गया है। एक उपाय है भगवान के सामने नृत्य करना। परंतु आज दुर्भाग्य है कि व्यास की गद्दी पर बैठ करके व्यास गद्दी के नियम के विरूद्ध खड़े होकर नाच रहें है। यह भारत की संस्कृति के लिए दुर्भाग्य है। व्यासगद्दी की एक गरिमा होती है। मर्यादा होती है। वेद और शास्त्र के अनुसार जो ऐसा करता है ठीक नहीं है। जो आज के युग में नृत्य करते हैं वो तन्मयता के साथ नही बल्कि दिखावा करते हैं जो ठीक नहीं है। भगवान को प्रसन्न करने का दुसरा माध्यम है गीत गाकर। तीसरा वेद, पुराण का पाठ करके भगवान को प्रसन्न किया जाता है।

 

 

 

 

 

नारद जी महाराज ने भक्ति के पुत्र ज्ञान तथा वैराग्य को निरोग करने के लिए गंगा के पावन तट पर हरिद्वार में  श्री सनत् कुमार से कथा श्रवण करने लगे। श्रीमद्भागवत कथा कि महिमा बताते हुए उन्होंने  कहा कि कोई भी दवा अच्छा होता है तो तत्काल अपना प्रभाव दिखाता है। चाहे वह शास्त्र हो,चाहे वह अपनी संस्कृति हो, चाहे श्रोता हो, चाहे औषधि हो,चाहे संत हो। यह बताया गया है। इन सभी के संसर्ग में जाने के बाद तत्काल हमारे मन में बुद्धि में  अपने किसी भी प्रकार के भटकाव पर अफसोस होने लगे। तो सही मायने में आप संत के यहां आये हैं। अफसोस होने लगे की हमने गलत काम किया है। यह संत के प्रभाव से ही संभव है।


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