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श्री बंशीधर नगर: भारतीय वैदिक परंपरा 50 हजार करोड़ वर्ष पुरानी है : स्वामी जीयर

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बंशीधर नगर (गढ़वा):- श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने मंगलवार को प्रवचन के दौरान कहा कि भारतीय वैदिक परंपरा 50 हजार करोड़ वर्ष पुरानी है। भारतीय संवत् राजा विक्रमादित्य के नाम से चलता है। भारतीय संस्कृति विश्व का सबसे बड़ा दर्शन है। स्वामी जी महाराज ने वेद की व्याख्या करते हुए कहा कि जिन पांच तत्वों से जीव को जाना जाता है वही वेद है। जिन शास्त्रों से हमें ज्ञान प्राप्त होता है वही वेद है। विभिन्न समाज के लोग वेद को तो मानते हैं। पर वेद के आकार को नहीं मानते। प्रकृति का दिया हुआ सारा चीज मनुष्य की संतुष्टि के लिए है। परंतु आज मनुष्य संतुष्ट नहीं है। हम अपनी मर्यादा को खोते जा रहे हैं। मानव जीवन में चार चीजें श्रद्धा, विश्वास, भक्ति व समर्पण होना जरूरी है। जिस व्यक्ति में यह चार गुण आ जाए वह जीवन में अप्राप्त चीज को भी प्राप्त कर सकता है। विश्वास का जो पात्र हो उसी पर विश्वास करना चाहिए वरना धोखा खा जाएंगे। उदाहरण देते हुए कहा कि सीता जी ने सन्यासी का भेष धरे रावण पर विश्वास किया जिससे उन्हें धोखा मिला और भगवान श्री राम ने विभिषण पर विश्वास किया जिससे उन्हें विजय प्राप्त हुई। इसलिए जो विश्वास का भाजन है, उसी पर विश्वास करनी चाहिए। दुनिया विश्वास पर ही टिकी हुई है। मानव जीवन में मनुष्य में श्रद्धा और विश्वास होना बहुत जरूरी है। अगर श्रद्धा ना हो तो कितना भी बड़ा कार्य कर लीजिए शांति नहीं मिल सकती और श्रद्धा हो तो भगवान मिल सकते हैं। इसलिए जीवन में श्रद्धा का होना बहुत जरूरी है। दूसरी बात विश्वास की है। जीवन में विश्वास का इतना महत्व है कि अगर हृदय में विश्वास है कि भगवान है तो भगवान का दर्शन हो जाएगा, भगवान का आशीर्वाद मिल जाएगा।


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