रमना: लगातार 72वर्षो से की जा रही है पूजा, 1950 से पंडाल में शुरू हुवा पूजा पाठ,1968ई में हुवा देवी मंडप का निर्माण
तीन किलोमीटर दूर कंधे के सहारे की जाती है विसर्जन.
विसर्जन के दौरान कंधे पर लेने के लिए मची रहती है होड़.
दिनेश गुप्ता/ रमना
प्रखंड मुख्यालय के इकलौता दुर्गा मंदिर में विगत 72वर्षों से निरंतर वार्षिक दसहरा पूजा की जा रही है.पूजा की शुरुवात 1950 ई से कपड़े के पंडाल से शुरू हुवा.जिसमे स्थानीय निवासी सीताराम साह,सुनेश्वर साह, शिवपूजन साह,प्रदुमन प्रसाद गुप्ता, गोपाल प्रसाद गुप्ता,शिव साह, मदन साह (अभी सभी मृत) सहित पंचायत के मुखिया बाबू केदार नाथ सिंह के अलावे अन्य प्रबुद्ध लोगो ने की थी.जिसके बाद स्थानीय लोगो के मदद से सन 1968 ई में देवी मंडप का निर्माण कराया गया.हालाँकि मंदिर मंडप निर्माण कार्य कराने में लोगो को काफी जद्दोजहद का भी सामना करना पड़ा था.तब रामनरेश साह ने पुजारी के तौर पर कई वर्षों तक अपनी सेवा दी थी.इसके बाद क्रमशः मुख्य रूप से गोपाल प्रसाद गुप्ता,राकेश कुमार उर्फ गुड़ु प्रसाद,विश्वजीत कुमार,उपेंद्र प्रसाद,राजेश कुमार,संजय प्रसाद,राजू कुमार,दिनेश गुप्ता(वर्तमान)ने सराहनीय भूमिका निभाते हुवे मंदिर में होने वाले पूजा महोत्सव में अहम योगदान देते रहें है.जय भवानी संघ के तत्वधान में यह वार्षिक पूजा महोत्सव पूरे धूमधाम से मनाये जाने लगा.दुर्गा पूजा का महत्व इस तरह है की अब यह केवल मुख्यालय नही बल्कि प्रखंड के दूरदराज से लोग आस्था और विश्वास मानकर इस मंदिर के पूजा के बाद दुर्गा प्रतिमा विषर्जन में सैकड़ो लोग भाग लेने लगे.प्रतिमा विषर्जन शुरू से ही श्रद्धालुओं के द्वारा तीन किलोमीटर दूर अपने कंधे के सहारे किया जाता रहा है.जिसे अपने कंधे पर लेने के लिए होड़ मची रहती है.लोगो की मान्यता है कि विषर्जन के दौरान अपने कंधा लगाने से माँ से मांगी हुई सभी मुरादे पूरी होती है.पुरोहित रामचंद्र मिश्रा ने पुरानी बातों को याद दिलाते हुवे कहा कि बाजार में प्रत्येक वर्ष पूरे विधिविधान से नियमित रूप से पूजा होती रही है.श्री मिश्रा ने कहा कि गढ़वा जिले में विराजमान गढ़देवी मंदिर से पुराना सम्बंध रहा है.उन्होंने कहा कि अभी तक गढ़देवी मंदिर से ही पूजा की समय तिथि मिलान कर पूजा पाठ सम्पन कराई जाती रही है.
प्रतिदिन आरती पूजा को लेकर स्थानीय युवाओं ने की थी महत्वपूर्ण पहल.
वार्षिक पूजा का स्वरूप प्रतिदिन के पूजा के रूप में बदलने को लेकर स्थानीय युवाओं ने सरहणीय पहल करते हुवे मां दुर्गा का प्रतिमा का स्थापना 6 जुलाई 2006 को स्थापना कर नियमित रूप से सुबह शाम पूजा पाठ,आरती के साथ प्रसाद का वितरण किया जाने लगा.लगभग एक दशक के सुबह शाम पूजा के बाद लगभग बीस लाख रुपये खर्च कर भब्य मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया.जिसमे स्थानीय लोगो के अलावे कई लोगो के सहयोग से 21 फरवरी 2017 को पुनः मंदिर में स्थापित दुर्गा प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा कर पूजा की जा रही है.इसके साथ ही विजयादशमी के अवसर पर होने वाले वार्षिक पूजा का महत्व और बढ़ गया तथा पूजा पाठ निरन्तर होता चला आया.प्रारंभिक कार्य को सफल बनाने में संभू गुप्ता,मिकु कुमार,दिनेश कुमार गुप्ता,विश्वजीत कुमार,धनंजय कुमार गुप्ता,जितेंद्र कुमार,बबलू गुप्ता आदि का सराहनीय भूमिका रही.