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कांडी: झोला छाप चिकित्सकों की बैठक, पढ़िये क्या है मांग?

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कांडी(गढ़वा) : यदि झोला छाप डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्र में इलाज न करें तो ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले अत्यधिक गरीब तबके के परिवार से आने वाले रोगी की जान नहीं बच पाएगी। कोरोना काल में जब सरकारी अस्पतालों में रोगियों के लिए बेड नहीं मिल रहा था, जब कोई चिकित्सक इलाज करने के नाम पर देखने के लिए भी तैयार नहीं होते थे तो उस विकट परिस्थिति में केवल झोला छाप ही कोरोना मरीजों का इलाज अपनी हथेली पर जान रख उनकी जिंदगी बचाए। यदि रोगी गढवा या अन्य अस्पताल जा कर इलाज भी कराते हैं व डॉक्टर इंजेक्शन लिखते हैं। अब सवाल यह कि पुनः अपने घर पर रोगी आता है तो सरकारी अस्पताल द्वारा लिखा गया इंजेक्शन भला लगाएगा भी कौन? यदि इस प्रकार होगा और झोलाछाप डॉक्टर इलाज नहीं करते हैं तो रोगी जाएंगे कहाँ व उनकी जान बचेगी कैसे।

दूसरे ओर उपायुक्त के निर्देश पर अवैध क्लिनिक व झोलाछाप डॉक्टरों पर लगातार कार्यवाई की जा रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में भगवान बन इलाज करने वाले सभी झोलाछाप डॉक्टर सकते में आ गए हैं। सभी डॉक्टरों में डर समा गया है कि कहीं कार्यवाई अन्य पर भी न हो जाए। इसलिए कांडी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत प्रसिद्ध सतबहिनी झरना तीर्थ स्थल स्थित बजरंगबली मंदिर के प्रांगण में जिले के बरडीहा, मझिआंव, केतार व कांडी यानी 4 प्रखंडों के सैकड़ों झोलाछाप कहे जाने वाले डॉक्टरों ने बैठक की। बैठक में शामिल सभी डॉक्टरों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि हमसभी प्रेक्टिस करना बंद कर रहे हैं।

अब ग्रामीण क्षेत्रों गुजर बसर करने वाले लोगों की जिंदगी कैसे बचेगी यह सबसे बड़ा सवाल है। वहीं यदि सरकार व उच्चाधिकारी की बात करें तो सरकारी अस्पतालों पर एक बार भी नजर नहीं फेरा जाता। कांडी प्रखण्ड मुख्यालय स्थित एक सरकारी अस्पताल है, जो केवल 6 घण्टे ही खुलता है। एक भी अच्छे चिकित्सक नहीं हैं कि इलाज किसी भी रोगी का ठीक तरीके से हो सके। वहीं प्रत्येक पंचायत में खड़े स्वास्थ्य केंद्र के बने भवन स्वास्थ्य विभाग का जबरदस्त पोल खोल रहा है, जहां एक भी नर्स तक नहीं।


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