सगमा: (लापरवाही)14 वर्षों से खेत के मेड़ के सहारे चलकर स्कूल आ – जा रहे स्कूली बच्चें
श्यामबच्चन यादव
सगमा : यह प्रशासनिक लापरवाही नहीं है तो और क्या लाखों रुपये खर्च कर स्कूल का भवन तो बना दिया गया। लेकिन बच्चे एवं शिक्षक स्कूल तक कैसे पहुंचेंगे इसकी किसी को फिक्र ही नहीं। हम बात कर रहे हैं सगमा प्रखंड के एक ऐसे स्कूल का जहां सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूल भवन तो बना दिया गया। लेकिन स्कूल तक बच्चे कैसे पहुंचेंगे इसकी फ़िक्र किसी को नहीं है। नतीजा हैं कि स्कूल में नामांकित बच्चे पिछले 14 वर्षों से खेत के मेड़ के सहारे चलकर स्कूल आ जा रहें है। वह स्कूल झारखंड एवं यूपी सीमा पर स्थित प्रखंड के नव प्राथमिक विद्यालय मकरी है। उक्त गांव में स्कूल तो बना दिए गए हैं परंतु स्कूल जाने के लिए बच्चों के लिए रास्ता नहीं बन पाया। वर्तमान में इस स्कूल में 47 बच्चे नामांकित हैं। जबकि बिरबल पंचायत को प्रशासन के द्वारा आदर्श पंचायत घोषित कर दिया गया। सही मायने में कहा जाए तो इन ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा विद्यालय खोल दिया गया है। लेकिन जनप्रतिनिधियों व सरकारी अधिकारियों की अनदेखी के चलते आज तक ना कोई स्कूल का रास्ता मिल पाया और ना ही खेलने का मैदान। ग्रामीणों के मुताबिक बताया जाता है कि बारिश के मौसम में खेतों में जब फसल लग जाते हैं तो बच्चों को स्कूल आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बरसात होने के वजह से कभी कभी बच्चे मेड़ पर फिसल कर गिर जाते हैं। ग्रामीणों ने कहा कि अगर बारिश ज्यादा हो गई तो स्कूल तक आने का आवागमन भी बंद हो जाता है। हालांकि हैरान करने वाली बात है कि जब रास्ता का निदान नहीं हुआ स्कूल बनने के स्वीकृति कैसे प्राप्त होगी गई। जबकि कोई भी सरकारी भवन बनाने के लिए पहले अंचल से उक्त जमीन का नोटिफिकेशन आवश्यक होता है। जिसमें अंचल द्वारा जमीन को माफी कर देखा जाता है इसके बाद ही संबंधित योजना की स्वीकृति दी जाती है। स्कूल के भवन का एकांत खेतों में बने होने के कारण अपने बच्चों को स्कूल आने जाने पर हमेशा अनहोनी होने का डर बना रहता है।
क्या कहते हैं विद्यालय के प्रधानाध्यापक
इस संबंध में नव प्राथमिक विद्यालय मकरी के प्रधानाध्यापक अशोक कुशवाहा ने बताया ताकि मेन सड़क से कुछ दूरी पर ही स्कूल स्थित है, मगर वहां आने-जाने के लिए कुछ व्यक्ति जमीन देने के तैयार नहीं है। कोशिश किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि स्कूल पर पहुंच मार्ग नहीं होने के कारण बच्चों को काफी कठिनाई होती है। सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के समय में होता है। श्री कुशवाहा ने बताया कि उतमाही नहर का जो भी पानी है इसी खेत से होकर गुजरता है, गत दिनों पूर्व ही पानी निकासी के लिए नहर का निर्माण करा रहे संवेदक के द्वारा जेसीबी मशीन से खुदवा दिया गया है, जिस कारण बच्चों को पहले के अलावा और आने जाने में और कठिनाई हो रही है। उन्होंने बताया कि स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से बांस का बल्ली को बिछाकर आवागमन को शुरू किया गया।