इस बार स्नातक सत्र 2022-26 के नामांकन के पंजीयन करने में लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा:निशांत चतुर्वेदी सह विश्वविद्यालय संयोजक (नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय)
जीवन में शिक्षा के महत्व को देखते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार ने नई शिक्षा नीति में व्यापक बदलाव करते हुए करीब 3 दशक के बाद देश में नई शिक्षा नीति को लाइ।देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में नई शिक्षा नीति एवं पाठ्यक्रम में हुए बदलाव को लेकर लगातार संगोष्ठी का आयोजन देश के विभिन्न विश्वविद्यालय एवं कॉलेज प्रशासन के द्वारा आयोजित कराई जा रही है
लेकिन अपना विश्वविद्यालय इसमें पूरी तरह असफल है .पूर्व में नीलांबर पितांबर विश्वविद्यालय में चांसलर पोर्टल के माध्यम से छात्र वेबसाइट पर जाकर अपने या कैफे से नामांकन के लिए पंजीयन किया करते थे , परंतु इस बार स्नातक सत्र 2022-26 के नामांकन के पंजीयन करने में लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है ,एक तो पोर्टल सही से काम नहीं कर रहा है दूसरा विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के अंतर्गत हुए पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर छात्र में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई है जिससे छात्र दुविधा में फंसे हैं।
पिछले बार भी जब सीबीसीएस पाठ्यक्रम लागू हुआ था और अभी भी नई शिक्षा नीति के निमित्त हुए पाठ्यक्रम में बदलाव विश्वविद्यालय के छात्रों को छोड़िए सभी कर्मचारियों को ठीक से जानकारी नहीं है कि आखिर सीबीसीएस में क्या है और नई शिक्षा नीति में हुए बदलाव में क्या है।विश्वविद्यालय अपने छात्रों का भविष्य भगवान भरोसे या कैफे के भरोसे छोड़ी है यह कहना मुश्किल है।
छात्रों को विश्वविद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ करने से ही बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, वह कहां कराएं ,कैसे कराएं ताकि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो क्योंकि अभी तक विश्वविद्यालय के द्वारा पाठ्यक्रम में हुए बदलाव हो या कहिए विभिन्न विषयों के सब्जेक्ट मैपिंग की जानकारी से छात्र अनभिज्ञ हैं ।सारे बदलाव की जानकारी कुलपति के चेंबर से लेकर प्राचार्य के चेंबर तक ही सीमित रह गई है और छात्रों को सुविधा के लिए ना ही कोई एडमिशन सेल या कमेटी बनाया गया है ना ही कोई विश्वविद्यालय के द्वारा हेल्पलाइन नंबर जारी की गई है जिससे विद्यार्थी अपने समस्याओं का हल करा सके।
इससे साफ जाहिर होता है कि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के कुर्सी पर आसीन हुए लोग अपने बेटा बेटियों को देश की प्रीमियम इंस्टिट्यूट में पढ़ाते हैं और पलामू प्रमंडल के गरीब छात्रों पर शोषण करते हैं और चाहते हैं कि ठीक से न पड़े, इससे इनकी मानसिकता साफ झलकती हैं।