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कांडी: आखिर सरकारी विद्यालयों की व्यवस्थाओं में कब होगी सुधार

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साकेत मिश्र
कांडी(गढवा) : आखिर सरकारी विद्यालयों की व्यवस्थाओं में सुधार कब होगी? बच्चों का भविष्य सरकार की करतूतों व विकास के झूठे ढिंढोरे पीटने पर आंसू बहा रहा है। विद्यालय तो देखने मे ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे 4 वर्षों से रंगरोगन भी नहीं हुआ है। ऐसे विद्यालयों में बच्चों का भविष्य कैसे उज्ज्वल हो सकेगा, यह विचाराधीन ही है। वहीं शौचालय होने के बावजूद भी अनुपयोगी है, चूंकि गंदगी से शौचालय भी परेशान हो चुका है।

शर्मनाक है कि सरकार, पदाधिकारी व शिक्षक स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हैं, वहीं विद्यालय गंदगी का अंबार बन कर रह गया है। उक्त विद्यालय में कक्षा- 1 से कक्षा- 10 के छात्र-छात्रा पढ़ते हैं। छोटे बच्चे तो शौच के लिए बाहर चले भी जाते हैं, किन्तु कक्षा- 9 व 10 की छात्राएं बाहर कैसे जाएं, यह बड़ी समस्या है। हालाकि प्रत्येक वर्ष विकास कार्य करने के लिए सरकार की ओर से पैसा भी आता है, इसके बावजूद भी विद्यालय की तस्वीर नहीं बदल रही।

कमलेश कुमार को अध्यक्ष बने लगभग दो वर्ष हो गया, किन्तु विद्यालय के दीवार पर अभी भी पुराने अध्यक्ष व संयोजिका का ही नाम अंकित है, जो हास्यपद ही है। वहीं एक भवन जो आज भी अपूर्ण स्थिति में खड़ा है। न ही क्लास रूम प्लास्टर हुआ है और न ही भवन। कोई पदाधिकारी भी संज्ञान लेना मुनासिब नहीं समझे कि आखिर क्या मामला है की उक्त विद्यालय परिसर में भवन का निर्माण कार्य अधूरा ही रह गया। ज्ञात हो कि मध्यान भोजन सामग्री का स्टोर रूम, जो जर्जर स्थिति में है। रसोइया व अन्य पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसा न हो कि कभी कोई अप्रिय घटना घट जाए। यह मामला है कांडी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत पतीला पंचायत के राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय चोका की। कहते हैं कि विद्यालय मन्दिर के जैसा स्वच्छ होना चाहिए, किन्तु उक्त विद्यालय केवल कहने जैसा प्रतीत हो रहा है। चूंकि उक्त विद्यालय चारों ओर से गंदगी ही गंदगी से घिरा है।

यहां शौचालय की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। उक्त विद्यालय का कोई चहारदीवारी नहीं है। विद्यालय परिसर में तो जलमीनार लगा हुआ है, किन्तु एक बूंद भी पानी देने में असमर्थ है, बल्कि यों कहें कि हाथी का दांत साबित हो रहा है। बच्चों को पानी पीने में भी काफी दिक्कतें होती हैं। कक्षा 10 की छात्राओं ने उक्त सभी बातें मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यहां ठीक से पढ़ाई लिखाई नहीं होती है। उच्च विद्यालय के 9 व 10 की कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए केवल 3 ही शिक्षक हैं। कक्षा 1 से कक्षा 8 के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पारा शिक्षक हैं, जो उच्च विद्यालय के छात्रों को नहीं पढ़ाते हैं। उच्च विद्यालय के कक्षा 10 की छात्राओं ने सरकार व सम्बन्धित पदाधिकारियों से शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की मांग की है, जिससे सभी विषयों की पढ़ाई घंटिवार हो।

वहीं अध्यक्ष कमलेश कुमार ने कहा कि शिक्षक समय से कक्षा में जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि 3 बजे छुट्टी होने के बाद गांव के लोग आकर विद्यालय में गंदगी फैलाते हैं। चूंकि विद्यालय का कोई चहारदीवारी नहीं है। इस कारण उक्त विद्यालय को शराबीयों ने मयखाना बना दिया है। कई बार शराब की बोतलें भी पाई गईं हैं, जहां से शिक्षकों ने कई बार अपने हाथ से उठाकर बोतलों को बाहर फेंका है।


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