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पलामू: सीएम साहब ने जिसे IAS समझ कर कर दिया सम्मानित,वह भी निकला फर्जी

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मेदिनीनगर : यूपीएससी 2021 की परीक्षा में 357वां रैंक लाने वाले पलामू जिले के पांडू निवासी कुमार सौरभ उर्फ सौरभ पांडेय का परीक्षा परिणाम फर्जी है। दरअसल, सौरभ पांडेय ने यूपीएससी 2021 की परीक्षा पास ही नहीं की थी। 357 वां रैंक लाने वाले कुमार सौरभ दूसरे व्यक्ति हैं और उतर प्रदेश के रहने वाले हैं।

सौरव

सौरभ पांडेय भी यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। इसी बीच गत 30 मई 2022 को जब रिजल्ट आया तो सौरभ पांडेय कुमार सौरभ बनकर 357वां रैंक लाने की जानकारी दे दी। तब से सौरभ पांडेय स्वयं को यूपीएससी पास बताए फिर रहा है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक को अंधेरे में रखे हुए है।

दरअसल सौरभ पांडेय लोगों से यह कहता फिर रहा था कि उसका रैंक ठीक नहीं आया। इस कारण इस बार नौकरी ज्वाइन नहीं करेंगे। वह फिर से तैयारी में जुटा है और पूरा प्रयास कर रहा है कि इस बार अच्छा रैंक ले आए। अच्छा रैंक आने के बाद ही नौकरी ज्वाइन करने की सोचे हैं। इस बीच सौरभ पांडेय के परीक्षा परिणाम के फर्जी होने की लगातार चर्चा चल रही थी। दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों में भी यह चर्चा थी।

इसी बीच इसकी सत्यता का पता लगाने की कोशिश की। सौरभ पांडेय उर्फ कुमार सौरभ से संपर्क साधा गया। सौरभ ने शुरूआत में स्वयं को यूपीएससी पास बताया, लेकिन जब उससे उसका एडमिट कार्ड मांगा गया तो उसने देने की बात कहकर मामले को टालने लगा। देने में काफी समय लगाया। दोबारा संपर्क करने पर मोबाइल नंबर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया।

दूसरे नंबर से तीसरी बार संपर्क करने पर सौरभ पांडेय ने परीक्षा परिणाम के फर्जी होने की कहानी बयां कर दी। सौरभ ने कहा कि जिस दिन रिजल्ट आया, देखा कि वह फेल हो गया था, लेकिन इसी बीच कुमार सौरभ के पास होने की जानकारी हुई। कुमार सौरभ के नाम और रैंक का हवाला देकर उसने स्वयं को पास बता दिया। कुमार सौरभ बनकर सौरभ पांडेय दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यक्रम में भी शामिल हुआ।

रांची के कोचिंग संस्थान में भी जाकर यूपीएसएसी की तैयारी में जुटे छात्र-छात्राओं को कामयाबी के टिप्स दिए।
मीडिया में छाया रहा था सौरभ पांडेय
दरअसल, गत 30 मई को सौरभ पांडेय के कथित तौर पर यूपीएससी की परीक्षा पास होने पर वह मीडिया में छाया रहा। सौरभ की सफलता के पीछे उनकी बहन का हाथ बताया गया और उसके संघर्ष की कहानी समाचार पत्रों में सुर्खियां में रही। बड़ी बहन गांव में बच्चों को कोचिंग क्लास कराती है। इससे जो रुपये जमा होते थे वह उसकी पढ़ाई के लिए दिल्ली भेजती थी।

सौरभ के पिता का निधन एक दशक पूर्व हो गया है। सौरभ के संघर्ष की कहानी में उसकी बहन को प्रमुखता से जोड़ा गया और खूब वाहवाही लूटी गई। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। परिवार, समाज और देश को अंधेरे में रखने वाले सौरभ जैसे युवक पर कार्रवाई होनी चाहिए।

नया नहीं है फर्जी रहकर वाहवाही लूटने का मामला

पलामू में फर्जी तरीके से यूपीएससी परीक्षा पास कर वाहवाही लूटने का मामला पहला नहीं है। इससे पहले वर्ष 2020 की परीक्षा में मेदिनीनगर के आबादगंज निवासी अविनाश कुमार ने भी कुछ इसी तरह स्वयं को पास बताया था। बिहार और झारखंड के दो कंडिटेड का एक ही नाम अविनाश कुमार रहने के कारण बिना कुछ जांच समझे अविनाश कुमार ने भी अपनी सफलता की कहानी गढ़ दी थी।

दरअसल जिस दिन रिजल्ट आया था कि उस दिन अविनाश के दोस्त ने फोन कर बताया था कि उसका यूपीएससी में चयन हो गया है। इससे कुछ घंटे तक भारी कंफ्यूजन हुआ था। हालांकि बाद में कॉल कर के अविनाश ने सभी मीडिया प्रतिनिधियों से माफी मांगी और कहा कि दोस्त ने गलती से उसके चयन होने की जानकारी दे दी थी। कहा था कि दोस्त के मैसेज को विश्वास में लेकर ऑनलाइन चेक नहीं किया और खबर प्रसारित कर दी थी।

27 जुलाई को सीएम ने किया सम्मानित
बुधवार को झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने यूपीएससी में सफल छात्रों को पुरस्कृत किया, सभी ने हेमंत सोरेन के साथ फोटो भी खिंचवाई। पलामू के पांडू के रहने वाले कुमार सौरभ ने सीएम के साथ फोटो खिंचवाई और सम्मान ग्रहण किया।

जानकारी के अनुसार यूपीएससी में चयन की जानकारी केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग को रहती है। कैडर बंटवारे के बाद राज्य को सूचना दी जाती है, लेकिन उससे पहले ही झारखंड सीएमओ ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर कुमार सौरव को यूपीएससी सम्मानित कर दिया।


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