जंगल को चट करने में दिन रात लगे हैं माफिया, कुंबा खुर्द जंगल से काट ले गए सखुआ के सैकड़ों पेड़, वन विभाग को भनक तक नहीं
बंशीधर नगर : गढ़वा जिले में माफिया अब जंगल को चट करने में दिन रात लगे हुये हैं। ताजा मामला नगर ऊंटारी वनक्षेत्र अंतर्गत सुरक्षित वन क्षेत्र कुंबा खुर्द का है। यहां माफियाओं ने दिन के उजाले में बेशकीमती सखुआ के सैकड़ों पेड़ों को काट कर जंगल को उजाड़ कर दिया है। वन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी। बेहद खूबसूरत और सालो भर हरा भरा एवं घना रहने वाला जंगल आज चीख चीख कर अपनी दुर्दशा बयान कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक कुम्बा सुरक्षित वन लगभग चार किमी की परिधि में स्थित है। इस वन क्षेत्र में सखुआ, महुआ, सीधा, धौरा, शीशम, समेत कई प्रकार इमारती एवं बेशकीमती पेड़ हैं। वन क्षेत्र के घना, हरा भरा एवं नदी के बीच में होने के कारण हिरन, नील गाय, सुअर, सांभर, तेंदुआ समेत कई प्रकार के जंगली जानवर भी रहते हैं।
वन क्षेत्र में पेड़ की मोटाई चार से लेकर छह फीट से अधिक तक की है। पेड़ के मोटा एवं सघन होने के कारण लकड़ी माफियाओं की नजर लग गई और मौका का फायदा उठाते हुये लगातार पेड़ों की कटाई की। माफिया सैकड़ों सखुआ के पेड़ काटकर ले गये। सबसे दुर्भाग्य की बात है कि माफिया लगातार पेड़ की कटाई कर रहे हैं और इसकी भनक वन विभाग एवं वन समिति को नहीं लग रही है जो विभाग की लापरवाही का द्योतक है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र एवं राज्य की सरकार पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने के लिये पेड़ लगाने एवं बचाने के लिये संकल्पित है। करोड़ो रूपये खर्च कर पेड़ लगाने एवं पेड़ बचाने के लिये जागरूकता अभियान चला रही है। लेकिन माफिया सरकार के संकल्प पर पानी फेर रहे हैं।
माफियाओं के सामने विभाग बौना साबित हो रहा है। जिसका फायदा उठाकर माफिया बेखौफ वन को उजाड़ रहे हैं।
क्या कहते हैं रेंजर
कुम्बा सुरक्षित वन क्षेत्र से इमारती लकड़ी की कटाई किये जाने के संबंध में रेंजर प्रमोद कुमार ने बतलाया कि जंगल से पेड़ माफिया नहीं महिलाएं काटी हैं। कुछ सखुआ के लकड़ी को जब्त किया गया है। वे स्वयं मामले की जांच कर रहे हैं, दोषी के विरूद्ध कड़ी कारवाई की जायेगी।
वन सुरक्षा समिति व विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर उठ रहे सवाल
बंशीधर नगर : कुंबा खुर्द वन क्षेत्र में भारी मात्रा में पेड़ों की कटाई से वन सुरक्षा समिति व वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
यहां सबसे मजेदार बात है कि सरकार की ओर से वन संरक्षण एवं वन विकास के लिये पूर्व में कुंबा वन सुरक्षा समिति को उत्कृष्ट वन सुरक्षा कार्यों के लिये पलामू प्रमंडल का दूसरा एवं गढ़वा जिला का पहला कुल मिलाकर सात लाख रुपये का पुरस्कार दिया गया है। बावजूद वन से पेड़ों की कटाई से पुरस्कार दिये जाने की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा हो गया है।
ग्रामीणों का कहना था कि रक्षक ही भक्षक बने हुये हैं। वन विभाग के अधिकारी एवं वनकर्मी मिलकर लकड़ी को कटवाते हैं और मोटी रकम वसूलते हैं। वैसे लोग नहीं चाहेंगे तो वन नहीं कटेगा।
विभाग के द्वारा वैसे लोगों को पुरस्कार दिया गया है, जो अधिकारियों के आगे पीछे करते रहते हैं, उन्हें वन से कोई लेना देना नहीं है। जब सरकार ने वन की सुरक्षा के लिये पुरस्कृत किया है, यदि उस पैसे का सदुपयोग वन की सुरक्षा के लिये किया जाता तो सैकड़ों पेड़ कटने से बच जाते।
अनुमंडल का सबसे खूबसूरत, बड़ा एवं घना जंगल है कुंबा खुर्द
श्री बंशीधर नगर : अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 8 किमी पश्चिम उत्तर में स्थित कुंबा सुरक्षित वन नगर ऊंटारी अनुमंडल का सबसे खूबसूरत के साथ साथ बड़ा एवं घना जंगल है। वन क्षेत्र में इमारती एवं बेशकीमती पौधे लगाये गये हैं। वन क्षेत्र में वन विभाग की ओर से प्रत्येक वर्ष लाखों रूपये का पेड़ लगाया जाता है। चार किमी की परिधि में जंगल होने एवं जंगल के बीच से नदी गुजरने के कारण वन की सुंदरता काफी बढ़ जाती है। जंगल में स्थित नदी में हमेशा पानी रहने के कारण अधिक मात्रा में जंगली जानवर रहते है।
कुंबा जंगल वन विभाग एवं ग्रामीणों के लिये वरदान
बंशीधर नगर : नगर ऊंटारी प्रखंड के कुम्बा में स्थित सुरक्षित वन क्षेत्र वन विभाग के साथ-साथ ग्रामीणों के लिये वरदान साबित होता है। केंदु पत्ता के सीजन में कुबा वन क्षेत्र के लिये लाखो रूपये की बोली लगाई जाती है। वहीं सरई एवं महुआ से भी विभाग को अच्छा खासा राजस्व की प्राप्ति होती है।
जानकारी के मुताबिक कुंबा वन क्षेत्र में भारी मात्रा में तेन का पेड़ है। बेहतर किस्म के तेन का पेड़ होने के कारण कुम्बा जंगल के लिये लाखों रूपये की बोली लगाई जाती है। केंदु पत्ता के सीजन में जंगल से व्यापक पैमाने पर केंदु पत्ता की तोड़ाई की जाती है। जिससे विभाग को लाखों रुपये राजस्व की प्राप्ति होती है।
वहीं ग्रामीणों को भी पत्ती तोड़ाई करने के एवज में पैसा मिलता है। साथ ही साथ सरई एवं महुआ आदि से भी वन विभाग के साथ-साथ ग्रामीणों को भी फायदा मिलता है।