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गढ़वा: “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” को कैबिनेट में पारित करना और फिर लोकसभा में पेश करना सराहनीय कदम- मंजुल

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मंजुल शुक्ला (फाइल तस्वीर)

 गढ़वा: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नीलाम्बर-पिताम्बर विश्वविद्यालय संयोजक मंजुल शुक्ल ने लोकसभा में पेश नारी शक्ति वंदन अधिनियम का स्वागत करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने वाली बिल “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” को कैबिनेट में पारित करना और फिर लोकसभा में पेश करना सराहनीय कदम है। लगभग तीन दशक से कई सरकारों द्वारा इस बिल को पास कराने का प्रयत्न किया गया लेकिन राजनीतिक कारणवश यह बिल पास नहीं हो सका। वर्तमान सरकार द्वारा महिलाओं को उनका अधिकार देने के लिए किया गया पहल ऐतिहासिक है। इससे पंचायत से संसद तक महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी और देश के नवनिर्माण में एक जनप्रतिनिधि के रूप में वे भी अपना बहुमूल्य योगदान दे सकेंगी। महिला आरक्षण बिल महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने में मदद करेगा। नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होने से महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा। जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी। समावेशी लोकतंत्र में राजनैतिक सत्ता किसी भी तरह के भेदभाव को मिटाने का सबसे प्रभावी हथियार है। संसद और राजनीतिक दल पुरुष सत्ता का केंद्र नहीं रहेगी। लिंग-जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव घटेंगे।

पंचायत एवं स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए किए गए 33 प्रतिशत (कई स्थानों पर 50 प्रतिशत तक) आरक्षण के परिणाम बताते हैं कि महिलाओं ने ग्राम पंचायत से लेकर जिला और प्रखंड स्तर पर आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक सभी क्षेत्रों में उत्थान के लिए प्रभावी काम किया है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल अमल में आया, तो महिला सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगा। ऐसे में सरकार सहित सभी राजनीतिक दलों को चाहिए कि इस विधेयक को संसद से पारित कराकर महिलाओं के पक्ष में एक सकारात्मक संदेश भेजे।


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